नई दिल्ली,अग्निपथ योजना के तहत भारतीय सेना में जब अग्निवीरों की भर्ती की गई थी, उस समय अग्निवीरो के आकलन का क्राइटेरिया रेगुलर सैनिक से ओर अधिक टफ बना दिया गया था | पहले साल से लेकर चौथे साल तक आकलन के बाद ही तय किया जायेगा की अग्निवीरों में से कौन भारतीय सेना में स्थाई होगा | भारतीय सेना ने अब इस पॉलिसी में बदलाव कर दिया है |
भारतीय सेना ने पॉलिसी में बदलाव कर अग्निवीर और रेगुलर सैनिक का आकलन करने का क्राइटेरिया एक जैसा किया है | इस बारे में भारतीय सेना की AG ब्रांच की तरफ से 31 अक्टूबर को नई पॉलिसी जारी की गई थी | हालांकि अग्निपथ योजना के तहत अग्निवीरो का पहला बैच ट्रेनिंग पूरी कर अपनी यूनिट्स में पहुंच गया है इन अग्निवीरों के पहली साल की योग्यता का आकलन पुरानी पॉलिसी यानी टफ क्राइटेरिया के हिसाब से किया गया है
ऐसे होगा अग्निवीर के स्थाई होने का आकलन
अग्निवीर का आकलन पहले साल ट्रेनिंग सेंटर में और फिर तीन साल यूनिट में होना है | इसमें BPET ( बैटल फील्ड फिजिकल इफिशसी टेस्ट ) PPT ( फिजिकल प्रोफिशिएंसी टेस्ट ) फायरिंग,ड्रिल भी देखी जानी है | रेगुलर सैनिक की जब भर्ती होती थी तब उनका भी इन सब के आधार पर मूल्यांकन किया जाता था और उसके मार्क्स मिलते थे | यूनिट्स में भी रेगुलर सैनिकों को ये टेस्ट एक तय अवधि में देने होते है |
अग्निवीर के लिए आकलन किस तरह रेगुलर सैनिक से कठिन था इसे हम BPET से समझते है
रेगुलर सैनिक के लिए 5000 फिट की ऊंचाई तक में 5 किलोमीटर की दौड़ ( पूरे बैटल लोड के साथ ) 25 मिनट में पूरी करने का मतलब एक्सीलेंट है
26.30 मिनट में गुड़ और 28 मिनट में संतोषजनक है | अग्निवीर के क्राइटेरिया में इन तीन कैटगरी के अलावा सुपर एक्सीलेंट भी जोड़ दिया गया था यानी यह दौड़ 23 मिनट में पूरी करने पर वह सुपर एक्सीलेंट क्राइटेरिया में आएगा,वही रेगुलर सैनिक के लिए कोई भी अगर 25 मिनट या उससे कम में दौड़ पूरी करता है तो वे सब एक्सीलेंट ही होंगे
अग्निवीर के आकलन में एक और कड़ी कैटिगरी जोड़ने से उन पर रेगुलर सैनिकों के मुकाबले ज्यादा दबाव पड़ने की आशंका थी। अग्निवीर का एक बैच सुपर एक्सिलेंट जैसे क्राइटेरिया से ही गुजरकर यूनिट तक पहुंचा है। यानी एक साल की उनकी मार्किंग हो चुकी है। हालांकि सेना के एक अधिकारी ने कहा कि फाइनल मार्किंग में इसे ठीक कर लिया जाएगा। अग्निपथ स्कीम लागू होते वक्त भी यह सवाल उठाए गए थे कि इसे अचानक से क्यों लागू किया गया है। तब कहा गया था कि आगे बढ़ते रहने पर जो बदलाव की जरूरत महसूस होगी, वे किए जाते रहेंगे।